Delhi, 8 months ago

ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय | हनुमान मंत्र | 21 जप

"ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।" यह हनुमान मंत्र भगवान हनुमान की पूजा और अनुष्ठान में उच्चारित किया जाता है। इस मंत्र में हनुमान जी की शक्ति, प्रभाव, और महत्व का स्वरूप व्यक्त किया गया है। यह मंत्र उनकी कृपा, साहस, और सुरक्षा की प्रार्थना करता है।

इस मंत्र के अनुभूत लाभ :

1. आत्मविश्वास और साहस: हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।

2. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का सुधार: इस मंत्र के जाप से शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

3. संकटों से मुक्ति: हनुमान जी के मंत्र के जाप से व्यक्ति को संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है और उसे सफलता की प्राप्ति होती है।

4. आत्मिक उन्नति: इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का आत्मिक उन्नति होता है और उसकी आध्यात्मिक उन्नति होती है।

5. शांति और संतुलन: यह मंत्र मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है और चिंता और अशांति को दूर करता है।

6. सफलता की प्राप्ति: हनुमान जी के मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सफलता की प्राप्ति होती है और वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में समर्थ बनता है।

इस मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं और वह अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अनुभव करता है।

"ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।"

इस मंत्र का अर्थ निम्नलिखित है:

"ॐ" (ओं): यह प्रारंभिक ध्वनि है, जो ब्रह्मांड की मौलिकता का प्रतिनिधित्व करता है और परम वास्तविकता को दर्शाता है।

"नमो हनुमते" (नमो हनुमते): यह शब्द भगवान हनुमान को नमस्कार और श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

"रुद्रावताराय" (रुद्रावताराय): यह हनुमान को शिव के अवतार के रूप में दिखाता है, जो विनाश और परिवर्तन से जुड़ा है।

"विश्वरूपाय" (विश्वरूपाय): यह हनुमान के समग्र रूप को दर्शाता है, जिससे उसकी सर्वव्यापकता और सर्वग्रहण स्वरूपता का प्रतीक है।

"अमितविक्रमाय" (अमितविक्रमाय): यह हनुमान के अव्याप्त वीरता और शक्ति का उल्लेख करता है।

"प्रकट-पराक्रमाय" (प्रकट-पराक्रमाय): यह हनुमान के असाधारण साहस और पराक्रम की प्रशंसा करता है, जो खुले रूप में प्रदर्शित किए जाते हैं।

"महाबलाय" (महाबलाय): यह हनुमान की अत्यधिक शक्ति और प्रभाव का वर्णन करता है।

"सूर्यकोटिसमप्रभाय" (सूर्यकोटिसमप्रभाय): यह शब्द हनुमान की तेजस्वी और प्रकाशमय किरणों को वर्णित करता है, जो मानव सम्पत्ति के लिए सूर्य के लाखों प्रकाश के समान हैं।

"रामदूताय" (रामदूताय): यह हनुमान को भगवान राम के दूत या सेवक के रूप में पहचानता है, जो उसकी भक्ति और निष्ठा को जताता है।

"स्वाहा" (स्वाहा): यह देवताओं को प्रार्थना या यज्ञ में अर्पण का अंतिम मंत्र है, जो दिव्य इच्छा को समर्पित करता है।

समग्र रूप से, यह मंत्र भगवान हनुमान की स्तुति करता है, उनकी कृपा, सुरक्षा, शक्ति, और भगवान राम के प्रति विशेष भक्ति की प्रार्थना करता है। इसे जीवन की चुनौतियों और कठिनाइयों को पार करने के लिए हनुमान जी की अनुग्रह और मार्गदर्शन की प्राप्ति के लिए उच्चारित किया जाता है।


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