विश्वकर्मा पूजा, जिसे विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व भारत, नेपाल और बांग्लादेश में मनाया जाता है और यह विशेष रूप से शिल्पकलाकारों, कारीगरों, इंजीनियरों, विशेषज्ञों और कारखाने में काम करने वालों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार सितंबर या अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। विश्वकर्मा पूजा विश्वकर्मा भगवान को समर्पित है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में सृष्टि के देवता के रूप में जाने जाते हैं। इस दिन कारीगरों और उनके पेशे के लोग अपनी सफलता, रोजगार में सुरक्षा, और समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा की कृपा का आशीर्वाद मांगते हैं। इस दिन पूजा, आरती, विशेष भोग, और उपहारों की विशेषता होती है, जिससे शिल्पकला और व्यावसायिक सफलता की प्राप्ति होती है।
Vishwakarma puja kab hai ? विश्वकर्मा पूजा 2025 में Wednesday, 17 September 2025 को मनाई जाएगी।
विश्वकर्मा पूजा की विधि निम्नलिखित कदमों में की जाती है, यहाँ दी गई है:
1. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा के लिए एक साफ सुथरे स्थान का चयन करें जैसे कि कारखाने, कार्यशाला या घर का कोई कोना। इस स्थान को उत्तम रूप से सजाएं और सजावट करें।
2. विश्वकर्मा मूर्ति या चित्र का स्थापना: पूजा स्थल पर विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
3. अवाहन और प्रार्थना: विश्वकर्मा भगवान की आराधना शुरू करने से पहले उन्हें अवाहन करें और मंत्रों और प्रार्थनाओं के माध्यम से उनकी कृपा की विनती करें।
4. पूजा और अर्चना: विश्वकर्मा भगवान को पूजन के लिए पुष्प, फल, मिठाई, और विशेष उपहार अर्पित करें। इसके साथ ही, आरती करें और दीपक जलाकर उन्हें समर्पित करें।
5. उपहार अर्पण: शिल्पकलाकारों और कारीगरों को अपने काम के औजारों, साधनों, और उपकरणों को भी भगवान विश्वकर्मा को समर्पित करना चाहिए।
6. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को भक्तों में बाँटना चाहिए, जो भगवान की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक होता है।
ये विधियाँ विश्वकर्मा पूजा की पारंपरिक विधि हैं, जो विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों में भिन्नता दिखा सकती है। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर और विशेष परंपराओं में भी अन्य अनुष्ठान और रीतिरिवाज हो सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा के लिए विशेष मंत्र होते हैं, जिन्हें पूजा के समय जाप किया जा सकता है। ये मंत्र भगवान विश्वकर्मा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए प्रयोग किए जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख विश्वकर्मा पूजा मंत्र हैं:
1. "ॐ नमो भगवते विश्वकर्मणे त्रैलोक्य पुरुषाय धर्ममूर्तये नमः।"
2. "ॐ अश्वपुर्णाय विश्वकर्मणे स्वाहा।"
3. "ॐ विश्वकर्मणे नमः।"
4. "ॐ विश्वकर्मा देवाय नमः।"
ये मंत्र विश्वकर्मा पूजा के दौरान प्रयोग किए जा सकते हैं। पूजा और मंत्रों को यथाशक्ति और श्रद्धा से जाप करना चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व विभिन्न कारणों से होता है। यहाँ इस पूजा के महत्व कुछ मुख्य कारणों में से कुछ हैं:
1. भगवान विश्वकर्मा की पूजा: यह पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होती है, जो हिंदू धर्म के पौराणिक देवता में शिल्पकला और निर्माण के देवता के रूप में माने जाते हैं।
2. कला और शिल्पकला की महत्ता: विश्वकर्मा पूजा के माध्यम से कलाकारों, शिल्पकलाकारों और कारीगरों की कला, शिल्पकला और पेशेवर योग्यताओं की महत्ता को मान्यता दी जाती है।
3. सफलता और समृद्धि की प्रार्थना: इस पूजा के द्वारा कारीगर और व्यावसायिक लोग अपने पेशे में सफलता, समृद्धि, और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।
4. समुदायिक एकता: विश्वकर्मा पूजा समुदाय को एक साथ लाने और उनकी एकता को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है।
5. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व: यह पर्व कारीगरी और उनकी सांस्कृतिक विरासत को उजागर करता है, जो विभिन्न शिल्प और उद्योगों में समाहित है।
विश्वकर्मा पूजा एक उत्सव है जो कारीगरी, कला, और निर्माण के दिव्य देवता को समर्पित है, साथ ही यह व्यवसायिक सफलता और कला-संस्कृति के महत्त्व को बढ़ावा देता है।
बिस्वकर्मा पूजा और विश्वकर्मा पूजा दोनों ही एक ही त्योहार को संदर्भित करते हैं। यह दोनों ही नाम भगवान विश्वकर्मा के श्रद्धालुता के पर्व को दर्शाते हैं, जो हिंदू और बौद्ध समुदायों में मनाया जाता है। इन दोनों नामों से व्यक्त किए जाने वाले पर्व में भगवान विश्वकर्मा की पूजा और समर्पण किया जाता है और व्यावसायिक सफलता और कला-संस्कृति के महत्व को बढ़ावा दिया जाता है। ये दोनों ही नाम भगवान विश्वकर्मा के पर्व को समर्थन करते हैं, जिनका महत्त्व और महात्म्य पर्व के प्रत्येक संस्करण में समान रहता है।
भारत के विभिन्न राज्यों में विश्वकर्मा पूजा को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जहाँ पर्व के आयोजन में स्थानीय संस्कृति और परंपराएं भी शामिल होती हैं। यहां कुछ राज्यों के बारे में जानकारी है:
1. पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में, विशेषकर कोलकाता और आसपास क्षेत्रों में, विश्वकर्मा पूजा विशेष धूमधाम से मनाई जाती है। पंडाल्स में भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियाँ और बड़े-बड़े शिल्पकलाओं की नकलें देखी जाती हैं।
2. बिहार: बिहार में भी विश्वकर्मा पूजा को बड़े उत्साह से मनाया जाता है, जहाँ शिल्पकलाकारों और व्यवसायिक समुदाय उत्सव मनाते हैं।
3. उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में भी विश्वकर्मा पूजा को व्यापक रूप से मनाया जाता है, जहाँ विशेष उपहारों के साथ पूजा का आयोजन होता है।
4. असम: असम में भी विश्वकर्मा पूजा का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ शिल्पकला और उद्योगों की महत्ता को मानते हुए इसे मनाया जाता है।
5. महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में भी विश्वकर्मा पूजा का धूमधाम से आयोजन किया जाता है, जहाँ व्यवसायिक स्थलों को सजाया जाता है और पूजा-अर्चना की जाती है।
ये कुछ राज्यों के उदाहरण हैं जहाँ विश्वकर्मा पूजा अपनी विशेषता के साथ मनाई जाती है, और स्थानीय परंपराओं को महत्त्व दिया जाता है।
Year | Date | Day |
---|---|---|
Vishwakarma Puja 2023 Date | 17 September 2023 | Sunday |
Vishwakarma Puja 2024 Date | 16 September 2024 | Monday |
Vishwakarma Puja 2025 Date | 17 September 2025 | Wednesday |
Vishwakarma Puja 2026 Date | 17 September 2026 | Thursday |
Vishwakarma Puja 2027 Date | 17 September 2027 | Friday |
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